डायट ने एक मान, एक पहचान तो एक अभिमान दिया है | डायट को हम जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान भी कहते हैं | यह बात सन 2012 की है जब हम सब ने बी.टी.सी. (बेसिक टीचर्स सर्टिफिकेट ) में दाखिला लिया था | यह दाखिला दिसंबर के लास्ट में हुआ था | जनवरी में 2013 में हमारी क्लास शुरू हुयी | सौ लड़के और सौ लड़कियों का हमारा बैच था |
हमने खूब मस्ती की, ज़िन्दगी के उतार चढ़ाव देखे | सब लोग कम से कम स्नातक कर के ही आये थे | सब की एक अपनी समझ और जानकारी थी | सब से सब का एक लगाव का अजीब सा रिश्ता बन गया और हम सब आज भी एक परिवार की तरह हैं और लगभग सब एक दूसरे के संपर्क में भी हैं |
खाली डायट की दीवारें
तुझे ढूढ रही है।
वो बेंच तुम्हारा पता पूछती हैं।
कि तुम कहाँ हो?
कभी तो मिलने आ जाओ।
कि जहां तुम शर्दियों में धूप सेंका करते थे।
कि जहां तुम बारिशों की बौछारों से भीगा करते थे।
कि जहां तुम गर्मियों में पंखे के लिए लड़ा करते थे।
कि जहां तुम हाज़िरी के लिए भीड़ लगाते थे।
कि जहां तुम आफिस से सर को बुला लाते थे।
कि जहां तुम बस या ट्रेन के बहाने जल्दी भाग जाते थे।
कि जहाँ तुम हफ्ते में कभी कभी पढ़ने आते थे।
कि जहां तुम गणित के घंटे में गाना सुनाते थे।
कि जहाँ तुम सारा दिन बतियाते थे।
सुन रहे हो तुम जहां हो।
कभी तो मिलने आ जाओ
कि तुम कहाँ हो ?
खाली डायट की दीवारें
तुझे ढूढ रही हैं।
वो बेंच तुम्हारा पता पूछती हैं।
डायट की बदौलत आज हम सब अपने पैरों पर खड़े हैं | बहुत सी यादें हैं कुछ खट्टी तो कुछ मीठे | कुछ आज भी अलग हैं कुछ आज भी साथ हैं पर न चाहते हुए भी एक कड़ी हमें हमेशा जोड़े रहेगी वह है शिक्षक की कड़ी | डायट हमारी ज़िन्दगी की नीव है और हम उसके दीवारों के एक-एक ईंट है |
डायट को समर्पित एक विडियो -
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