कविता- यादों का चिराग

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यादों का चिराग 

yado ka chirag
यादों का चिराग 

इक बात जो लबों तक आ न सकी |

हिम्मत के दिए तले कोशिशों के चराग जलाता रहा |

रस्ता-रस्ता मुझ पर हँसता रहा !
राही-राही मुझपर मुस्कुराता रहा |

ख्वाब हौशालों से रौशन है रात मेरी
कटती है कैसे इक गुजारी हुयी बात है |

उम्मीद तिनको की किरण है रात मेरी 
उगती है कैसे इक बिखरी हुयी साज है |

हकीकत के सारे जख्म हरे भरे बाग़ हुए 
दुखो का फूल लेकर वादिये गुलज़ार हुआ |

मै कहकशा सूना पड़ गया तेरे चले जाने के बाद !

कंकड़ से लिखा था जो नाम तुम्हारा, तालाब के किनारे |

कंकड़ कंकड़ से उसको मिटाता रहा |

इक बात जो लबों तक आ न सकी |

हिम्मत के दिए तले कोशिशों के चराग जलाता रहा |




इस कविता का विडियो हमारे चैनल A to Z Sangam पर उपलब्ध है, जिसको बहुत ही शानदार तरीके से बनाया है हमारी टीम ने उम्मीद है आपको पसंद आएगी और एक बार जरूर देखें !



लेखक परिचय-
अमृत प्रकाश 
जौनपुर (उत्तर प्रदेश )


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